बात दिल की जो है, तुमसे कह दूँ मगर
सुन के कुछ देर खामोश रहना सनम
हमको मालूम है सब्र मुश्किल है पर
ले के वाहों का आगोश रहना सनम

तुम हो मुझमे बसे,रूह बनकर मेरी
तुमसे ज्यादा किसी की भी चाहत नहीं
तुम ही तुम हो सनम ,मेरी साँसों में भी
अब तुम्हारे बिना मुझको राहत नहीं
ये तो आगाज है मेरी चाहत का अब
इसके अंजाम की तुमको आहट नहीं
मुझको है अब नशा इश्क़ के जाम का
तुम मोहब्बत में मदहोश रहना सनम
बात दिल की जो है तुम से कह दूँ मगर
सुन के कुछ देर खामोश रहना सनम

तुम ही कह दो सनम ,तुम बता दो मुझे
तुमसे कितनी मोहब्बत का वादा करूँ
मैं तो मदहोश हूँ, रोक लेना मुझे
गर बहक जाने का मैं इरादा करूँ
आओ ले लो मुझे अपनी बाहों में तुम
आओ मिल के नशा आधा आधा करूँ
मैं हूँ पागल गुनहगार हो जाऊँ गर
पास मेरे भुला दोष रहना सनम
बात दिल की जो है, तुम से कह दूँ मगर
सुन के कुछ देर खामोश रहना सनम

– अखिलेन्द्र अजय तिवारी “अखिल”

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