परिप्रेक्ष्य !!

लफ्ज़ो पर ऐतबार करते हो , कभी खामोशियों से गुफ्तगू कर देख लीजिये ..
दिल के टुकड़ों में गिनते हो , पर कभी नज़रो को भी हमारे पढ़ लीजिये ..

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तेरे हुस्न…

तेरे हुस्न ने ना जाने कितने फरमान जारी किया है ..दिल -ए–महफ़िल में क़त्ले -आम बेशुमार किया है ..गुजारिश है…

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एक सफर …

ऐ खुदा मेरे, तुझमे बस्ता जहां है ..असरो के बल पर , अब मुक़म्मल मेरा जहां है ..खिलता है सूरज…

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