एक दिन तुमको आना था
पर तुम ना आये
रात
रात यूँही चुपचाप ढलती रही
दिल के पल पे यादो की रेल
धीरे धीरे गुजरती रही
विराग
मैं झरती रही हरश्रृंगार सी रात भर,
तुम बेली की तरह चढ़ते रहे शिखर
शाम
शाम ढलती है बेनूर सी उदासी में,
बारिस के बाद एक अजीब सा सन्नाटा |