एक दिन तुमको आना था
पर तुम ना आये
धीरे से बजी फ़ोन की घंटी
आयी तुम्हारी खबर
पर तुम न आये
तिरंगा एक बॉक्स में लिप्ता हुआ
और भी सभी लोग थे
पर तुम न आये
हर रोज तुम्हारा ख्याल आया
तुम्हारी याद आयी
पर तुम न आये
कुछ वीरानी आयी, सूनापन आया
और आया एकांत
पर तुम न आये
मनो सबकुछ रूठ गया हो, तुम्हारे ना आने से
फिर से दर्द आया पीड़ा आयी
पर तुम न आये
आज विजय दिवस पे सब आये
बार बार आया तुम्हारा नाम
पर तुम न आये