रात

रात यूँही चुपचाप ढलती रही
दिल के पल पे यादो की रेल
धीरे धीरे गुजरती रही

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परिप्रेक्ष्य !!

लफ्ज़ो पर ऐतबार करते हो , कभी खामोशियों से गुफ्तगू कर देख लीजिये ..
दिल के टुकड़ों में गिनते हो , पर कभी नज़रो को भी हमारे पढ़ लीजिये ..

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एक सफर …

ऐ खुदा मेरे, तुझमे बस्ता जहां है ..असरो के बल पर , अब मुक़म्मल मेरा जहां है ..खिलता है सूरज…

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एक कहानी

सुनो मैं आज फिर कोई,कहानी कहने आया हूँबहुत बोझिल हुई लेकिन ,जवानी सहने आया हूँनहीं है रूह अब मुझमें, ये…

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विराग

मैं झरती रही हरश्रृंगार सी रात भर,
तुम बेली की तरह चढ़ते रहे शिखर

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